वो बारिश का मौसम

वो बारिश का मौसम
वो गरम गरम जलेबी
वो धुआं छोड़ती चाय
छतों से टपकता पानी
छातों का साफ़ कर घर से निकलना
पानी से छप छप करते खेलना
जान बुछकर भीगना
ओटली पर कतार में लगना
अपनी बारी का इंतज़ार करना
कुछ भी तो नहीं बदला
सब वैसा का वैसा ही तो है
फिर क्या हो गया ऐसा
जिसे हम पकड़ नहीं पा रहें है
या फिर पकड़ना नहीं चाह रहें है
शायद ये तेज रफ़्तार का खेल है
और हम भी कुछ थक से गए है
राजेश’अरमान’

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close