सरल जीवन
हम बढ़ते रहे
हम समझते रहे
हम पढ़ते गए
हम समझते गए
छोटे थे तो
बड़ा होने का ख्वाब
बड़े हुए तो बचपन लगा प्यारा
कुछ पाया तो खोने का डर
कुछ न था तो नसीब दुश्मन
सयाने हुए तो खिलौने छोड़े
खेलने लगे जज्बातों से
ताउम्र बस ढूँढ़ते रहे
क्या ढूंढ़ना पता नहीं
खुद को कभी खोते रहे
बेवज़ह कभी रोते रहे
यु ही गुजरी ज़िन्दगी
यही है अपना ‘ सरल जीवन ‘
राजेश ‘अरमान’
really amazing..simple but awesome
thanx
Ati sundar rachna