सर्दी गर्मी या वर्षा हो, चाहे अमावस रात हो
हैं अडिग हर तूफानों में, चाहे पौष की ठंडी रात हो
खड़े रहते हैं सरहद पर, चाहे गोली की बौछार हो
मौत से होता है मिलन यूँ, कि जैसे गले का हार हो
दुश्मनों के दल में जब वो, तांडव करते हैं
हों सैकड़ों महाकाल वो, ऐसे लगते हैं
कितना दुर्गम रास्ता हो, वो नहीं डरते हैं
हैं नजर से पारखी वो, दुश्मनों पे नजर रखते हैं
वो राम राज्य लाने को, रहते हैं सदा उतावले
पर निज स्वारथ के कारण, नहीं चाहते कुछ अंदर वाले
~Ram Shukla
कटरा बाजार, गोंडा उत्तर प्रदेश