Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
योग दिवश पर विशेष
योग के अलौकिक गुणों के माध्यम से कोरोना को दें मात रोगी के शरीर को योग के माध्यम से धीरे धीरे रोग मुक्त कर दें…
पापा
पापा इतना सब आप कैसे कर लेते हो? कैसे असल जिंदगी में हरफनमौला रह लेते हो? हर काम में परफेक्ट कैसे हो लेते हो वो…
मै माँ हूँ, मैं बेहतर से जानती हूँ
1. मै माँ हूँ मैं बेहतर से जानती हूँ मेरा नाम अनु मेहता हूं, मैं भी के माँ हूँ मेरी बेटी भी 15 महीने की…
राष्ट्र का नेता कैसा हो?
राष्ट्र का नेता कैसा हो? जो रहें लिप्त घोटालों में, जिनके चित बसे सवालों में, जिह्वा नित रसे बवालों में, दंगा झगड़ों का क्रेता हो?…
बहुत सुंदर रचना, और आजकल के माहौल का यथार्थ चित्रण।
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अतिसुंदर
Sathik kaha
सुन्दर अभिव्यक्ति
आजकल जो घटनाएं घट रही हैं उनके बारे में सुंदर अभिव्यक्ति