साँसों की आरजू मचलने दो!
साँसों की आरजू मचलने दो!
रोशनी चाहतों की जलने दो!
नज़र में आयी है याद तेरी,
सरहदें ख्वाबों की पिघलने दो!
हादसे इसकदर कुछ हो गये हैं!
गम-ए-हालात में हम खो गये हैं!
हसरतें बिखरी हैं रेत की तरह,
ख्वाब भी पत्थर से कुछ हो गये हैं!
Written By मिथिलेश राय ( महादेव )
wah! padkar maja aa gaya
बहुत सुंदर
साँसों की आरजू मचलने दो!
रोशनी चाहतों की जलने दो!
नज़र में आयी है याद तेरी,
सरहदें ख्वाबों की पिघलने दो
बहुत सुंदर पंक्तियां 👏👏👏