Site icon Saavan

साप्ताहिक कविता प्रतियोगिता

उठी है एक आवाज, सत्ता को पलटने के लिए,
जागी है एक भावना,जन जन की चेतना के लिए,
गूंजी है एक पुकार,कुछ बदलने के लिए,
अब समाप्त करनी है लोगों में फैली जो है भ्रांति,
समय आ गया है अब जन्मेगी एक क्रांति,
आगाज़ करता हुआ एक विगुल कह रहा,
डरो ना आंधी पानी में,
हर फिजा खुल कर सांस लेगी अब इस कहानी में,
मजदूरों और मेहनतकशों के इम्तिहानों की,
अब लाल सलाम करती हुई उठेगी एक क्रांति हम जवानों की,
हुई थी क्रांति और होगी एक क्रांति,
अब एक जलजला उठ रहा है मजदूरों और मेहनतकशों के नारों का,
हर हिसाब चुकता होगा अब पूंजीपतियों और शासकों की मारों का,
देखो उस परिवर्तनकारी दृश्य को,
जो बन रहा है इस जहान में उस मैदान में,
ख़त्म होगी अब जो भी है भ्रांति,
अब जन्मेगी क्रांतिकारी क्रांति ।

अंशिका जौहरी

Exit mobile version