Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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केवल दो अक्षर का हूँ
अब तक समझ नहीं पाया खुद को कि मैं प्यार का कवि हूँ या नफरत का। संयोग का कवि हूँ या वियोग का, उत्साह का…
प्रार्थना
घऽरे में रहबय कतेक दिन पिया ई कोरोना कें डऽर सॅ। बाल बच्चा सुरक्षित रहथि सदा तेॅ न निकसब घऽर सॅ।। भुक्खल नेना भुक्खल हमसब…
सूखी स्याही
~सूखी स्याही~ केवल शब्दों का झुण्ड है, मेरी कविताऐं लोगों के लिए, सचिन* पर जब हम बैठते है पढ़ने को ,…
कलम में स्याही
नि:शब्द हूँ निस्तेज मैं मस्तिष्क के आवेश में शब्द भारी पड़ रहे कलम की स्याही से नित यह कह रहे ना उल्लिखित कर पाऊँगा मैं…
स्याही
ए सनम स्याही नहीं है तो क्या हुआ । तेरी नैनो के स्याही से काम चला लुंगा।।
उम्दा
शुक्रिया!!
umda kavita
Shukriya!!
nice one!!
Shukriya!!