हाथ की रेखाओं को
हाथ की रेखाओं को क्यों बदनाम करते हो
खुद ही हर सुबह को क्यों शाम करते हो
पशेमाँ होके न बैठेगा ये बेदर्द जमाना
आप बेवजह बैठे क्यों जाम भरते हो
किसको फुर्सत जो देखे चाकजीगर
शिकायत फिर क्यों खुलेआम करते हो
हर फ़तेह तेरा खुद का मुक़द्दर
हर शिकस्त मेरे क्यों नाम करते हो
जब कोई मरासिम नहीं रहा फिर
दूर से देख के क्यों सलाम करते हो
राजेश’अरमान’
Nice
thanx
bahut khoob
thanx
wah g wah bah kmaal …..
thanx
वाह
Good