Categories: हिन्दी-उर्दू कविता

Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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साँसों की आरजू मचलने दो! रोशनी चाहतों की जलने दो! नज़र में आयी है याद तेरी, सरहदें ख्वाबों की पिघलने दो! हादसे इसकदर…
मृगतृष्णा
रेत सी है अपनी ज़िन्दगी रेगिस्तान है ये दुनिया, रेत सी ढलती मचलती ज़िन्दगी कभी कुछ पैरों के निशान बनाती और फिर उसे स्वयं ही…
देश के इसी हालात पर रोना है
देश के इसी हालात पर तो रोना है, 69 साल हो गए आजादी के फिर भी आँखें भिगोना है, रो रहा कोई रोटी को और…
जैसे रहता हो समुन्दर तन्हा, किनारों की तरह…….
पहली मोहोब्बत का तकाज़ा क्या करे हम वो मिला था हमको बहारों की तरह दीवानगी इस से बढ़ कर और क्या होगी हमने चाहा था…
पत्थर को पूजते-पूजते थक गये हम कई वर्षों से ।
पत्थर को पूजते-पूजते थक गये हम कई वर्षों से । पर क्या खाक मिला हमें, तुझसे ओ बेवफा मुहब्बत करने से ।। पत्थर को पूजते-पूजते…
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