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“ღ महबूब ღ”

मेरे महबूब के जलवों की तो, पूरी दुनिया ही दीवानी है,

ये जहाँ जो इक गुलिस्ताँ है, इसकी वो रात-रानी है;

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चाल है गज़ालों सी, रुख में मौजों सी रवानी है,

होंठों पे शबनम का बसेरा है, आँखें मैखानों की निशानी हैं;

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रंगत में धूप सी चमक है, जुल्फें हैं स्याह रातों सी,

जहाँ भर के हसीनों में, उसके चर्चे ज़ुबानी हैं;

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माना ये ख्वाब दिलकश है ‘अक्स’, ज़द में रह के देखो तो अच्छा है,

अमूमन तो ये ख्वाब पूरे नहीं होते, हो जाएँ तो ख़ुदा की मेहरबानी है!…….#अक्स

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