अंदर जिस्म में बैठा

अंदर जिस्म  में बैठा
मुझ जैसा मेरा दुश्मन

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खुद की भावनाओं से रिश्ता टूटता रहा, एक नया किरदार अंदर ही अंदर बनता रहा। रिश्तों से रिश्तों तक का सफर तय होता रहा, एक…

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