अगर इश्क हो तो ही होती गज़ल है।

 

  1. अगर इश्क हो तो ही होती गज़ल है।

ख़यालों के बिस्तर पे सोती गज़ल है।।

 

दिशा है दिखाती ये भटके हुओं को,

दिलों की ख़लिस को भी धोती गज़ल है।।

 

जो साहित्य को हम कहें इक समन्दर,

तो सागर से निकली ये मोती गज़ल है।।

 

नयी पीढ़ियों को है माज़ी बताती,

अरूजो अदब को भी ढोती गज़ल है।।

 

है अम्नो अमां से ही रिश्ता गज़ल का,

मुहब्बत दिलों में भी बोती गज़ल है।।

 

अगर बहर से कोई ख़ारिज़ हो मिसरा,

तो आँसू बहाकर भी रोती गज़ल है।।

 

हँसाती रुलाती मिलन तंज कसती,

सभी नौ रसों में डुबोती गज़ल है।।

——मिलन..

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