अब ना ढूंढना कभी
मुझे मन के उजालों में
अंधकार की ओर
बस एक कदम बढ़ा लेना
बिखरें हों जहाँ
कंटक बेशुमार
बस वही पर मेरा निशान मिलेगा…
अब ना ढूंढना कभी
मोतियों की चादर में
धूप की लड़ियों में
याद आए तो
खोज लेना…
स्वप्न में आऊंगी तुम्हारे
तुम्हारी पलकों के द्वार
खट-खटा कर कहूँगी तुमसे
अब ना ढूंढना कभी…………!!