अभी बाकी है

दिल है धड़कन है अभी तो जान है बाकी,
जन्दगी के सफर में कई इम्तेहान हैं बाकी,

जो प्रश्न हैं पूछे बड़े ज़ालिम ज़माने ने,
निरउत्तर कर दिखाने का अभी अभिमान है बाकी,

डुबाने को जो बैठे है तुम्हें पल पल समन्दर में,
किनारे तैर कर छू जाने का अभी ईनाम है बाकी॥

राही (अंजाना)

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