Site icon Saavan

अरे ओ रोशनी

अरे ओ रोशनी
क्यों टिमटिमाती हो,
क्यों इस तरह से दर्द में
खुद को रुलाती हो।
समझ लो तुम स्वयं को
एक अदभुत शक्ति हो
मत रहो दुविधा में
तुम तो वाकई में शक्ति हो।
क्यों गंवा बैठी हो पल को
क्यों भुला बैठी स्वयं को
दर्द को यूँ पाल कर
क्यों गलाती हो स्वयं को।
मत रुंधाओ अब गला
आंखों से आंसू मत बहाओ,
दूर फेंको दर्द को
खुशियों की सरिताएं बहाओ।
है भरी भरपूर क्षमता
तुम उसे महसूस कर लो,
राह में खुशियां खड़ी हैं
दौड़ कर उनको लपक लो।
आज से तुम पथ बदल लो
अश्क बिल्कुल भी न निकलें
खुद को करना है सफल तो
भाव खुशियों के ही निकलें।
स्वयं की शक्ति को महसूस कर
आगे बढ़ो जीतो जहां,
एक दिन खुशियां कदम चूमेंगी
आकर खुद यहां।

Exit mobile version