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“अलग है”

ღღ_यूँ हर एक शख्स में अब, मत ढूँढ तू मुझको;
मैं “अक्स” हूँ ‘साहब’, मेरा किरदार ही अलग है!
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झूठ के सिक्कों से, हर चीज़ मिल ही जाती है;
पर जहाँ मैं भी बिक जाऊं, वो बाज़ार ही अलग है!
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यूँ तो हुस्न वाले, कम नहीं हैं इस दुनिया में;
पर जिसपे मैं फ़ना हूँ, वो हुस्न-ए-यार ही अलग है!
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यूँ तो इन्तज़ार करना, मेरी फितरत में नहीं शामिल;
पर तेरी बात कुछ और है, तेरा इन्तज़ार ही अलग है!
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राँझा, फ़रहाद, मजनू अब, गुज़रा हुआ कल हैं;
मैं ख़ुद ही ख़ुद की मिसाल हूँ, मेरा प्यार ही अलग है!!….

#अक्स

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