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अल्फाज कहां से लाऊं?

दिल में छिपे जो जज्बात है उनके लिए अल्फाज लाऊं कहां से?

खुरेडे जा रहे जो मेरे दिल को अंदर ही अंदर उन्हें बयान करने के लिए अल्फाज लाऊं कहां से?

ज़िक्र करे भी तो किस्से करे
जो सुनते उनके पास वक्त नहीं और हर किसी से बता सकुन ऐसे अल्फाज लाऊं कहां से?

ये चुप सा लेहजा हमेशा से नहीं था हमारा,
पर तुम्हें हर बात दिल खोल के बताने के लिए अल्फाज लाऊं कहां से?

बीती बातें एक बार दिल खोल के बोलनी है लेकिन उनके लिए भी अल्फाज कहां से लाऊं?

कि ख्यालो में कह चुके है सब तुमसे लेकिन सामने से कहे ऐसे अल्फाज कहां से लाऊं?

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