अश्क मेरे Anu Singla 3 years ago अश्क जो बहे नयनों से लुढ़के गालों पे मेरे किसी ने ही देखे अनदेखे ही हुऐ अश्क जो अटके गले में गटके हर सांस में ना देखे किसी ने अनदेखे ही रहे तोड़े मुझे हर बार भीतर से च़टके कुछ ज़ोर से बिन किसी शौर के। सुधार के लिए सुझाव का स्वागत है।