आईने

आईने को देख कर,ठहर जाता हु में
कहता है जो आइना,सहज जाता हु मैं

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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माँ

माँ: जीवन की पहली शिक्षिका ******************** जीवन की पहली गुरु, मार्गदर्शिका कहाती है हर एक सीख,सहज लब्जों में सिखाती है ।। धरा पे आँखे खुली,माँ…

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