नत मस्तक
शीश झुकाए
कतारबद्ध खडा हूं मैं
लिए लघु हृदय
वीरों संग
दौड चला
घावो की परवाह
किए बिना
तत्पर हूं
कुछ करने को
इस देश के लिए
मरने को
बना लिया है
लक्ष्य अब
विजय पताका
लहराना बस
शीर्ष कारज
रहेगा अब
नत मस्तक
शीश झुकाए
कतारबद्ध खडा हूं मैं
लिए लघु हृदय
वीरों संग
दौड चला
घावो की परवाह
किए बिना
तत्पर हूं
कुछ करने को
इस देश के लिए
मरने को
बना लिया है
लक्ष्य अब
विजय पताका
लहराना बस
शीर्ष कारज
रहेगा अब