आब-ए-चश्म Satish Chandra Pandey 4 years ago आब-ए-चश्म रातों में न आओ आँख में रात सोने दो, जरा आराम करने दो, सुबह को फिर वही, उनकी जुदाई याद कर के हम, बुला लेंगे तुम्हें, लेकिन अभी आराम करने दो। आब-ए-चश्म – आँसू