आब-ए-चश्म

आब-ए-चश्म रातों में न आओ आँख में
रात सोने दो, जरा आराम करने दो,
सुबह को फिर वही,
उनकी जुदाई याद कर के हम,
बुला लेंगे तुम्हें, लेकिन अभी आराम करने दो।
आब-ए-चश्म – आँसू

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