Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
इश्क-ए-खुदाई – 5
इश्क–ए–खुदाई भी कैसा सौदाई है कैद–ए–खुदाई में ना कुंडी है ना पहरा है
इश्क-ए-खुदाई – 2
इश्क–ए–खुदाई भी कैसा सौदाई है जग की बेजड़–सोचें इसने छोडा़ई हैं
इश्क-ए-खुदाई – 1
इश्क–ए–खुदाई भी कैसा सौदाई है मन डोर झूम के यूँ तुझमें बंधायी है
इश्क-ए-खुदाई – 3
इश्क–ए–खुदाई भी कैसा सौदाई है लाज–शर्म–हया–तेह्ज़ीब इसने भुलाई है
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bahut khoob sir!