कभी ना जताया
मैं बस ख़ुद से आगे कभी सोच ना पाया तूने मेरा सब सोच के भी कभी ना जताया …… यूई
मैं बस ख़ुद से आगे कभी सोच ना पाया तूने मेरा सब सोच के भी कभी ना जताया …… यूई
ज़िंदगी ने जब जब तपती राहों से निकाला मुझको हर बार तेरी खुदायी का मंज़र नजर आया मुझको …. यूई
जन्मो जन्म राहें अपनी भटकाई मैंने इसी लिए तो तेरी राह ख़ुद गंवाई मैंने अब जाके कुछ थोड़ा सा बस संभला हूँ सब सोचे छोड़…
वोह सातों जन्मो का सच दिखता है तुझमें वोही जन्मो का प्यार जो रच दिया है मुझमें खोया रहा उन राहो में बस सिमट कर…
बस मुसकरा कर तेरी आँखें लूटा देती हैं प्यार इतना ता-जन्म जिस्म छू कर भी ना लूटा पाये कोई इतना …
तुझको कुछ कहने की जरूरत ही क्या है मादक आँखें तेरा हाल-ए-दिल बता देती है …. यूई
तेरी आँखों में अपने इश्क की तक़दीर ढूँढता हूँ हुई जो ना अबतक मुकम्मल वोह तसवीर ढूँढता हूँ …. यूई
तेरी मुसकराती आँखों में सब कुछ दिखता है इन मुस्कराहटों के पीछे भी कुछ दिखता है दर्द जो छुपा बरसों से इनमें वोह दिखता हैं…
लोग तो करते हैं बातें सच्ची चाहतों की आँखें तेरी वोह सच्चाई बयान करती हैं …. यूई
सच्चाई है तेरी बातों में सच्चाई है तेरी सोचों में इसी सच्चाई में बसा लो मुझको कुछ तो ख़ुद सा बना लो मुझको …
टूट लिए सपने जितने थे टूटने अब ना फिर कभी भी यह टूटेंगे अरमानो को हमने गहरे दफन किया उम्मीद के दिये जलाने छोड़ दिया…
है मुश्किल तो ख़ुद का साथ निभा यह दुनिया तेरा साथ क्या निभाएगी मुश्किलो में इसका विश्वास है हिल जाता खुदा पे भरोसा इसका इक…
माफ कर देता तेरी तुम्हारी बेवफाईओ को पर मुझे तुम्हारी कोई भी ख़ता याद नही …… यूई
ए लहरॊं की रागिनी राग का यह राज तो बता सुर तेरे से मचलती है लहरे या उनकी मस्ती से महकते सुर तेरे …… यूई
लगता सबको है यह पहली बार कि है यह बस मेरे वाला प्यार नही जानते हो तुम हो नादान है सदियों पुरानी यह रिवायते नजर…
रंग अपनी मेहँदी मेरे रकीबों के नाम कौनसी तूने यह नई कहानी लिख दी निभायी जिसने भी यहां रस्म-ए-वफ़ा उसने अपनी बर्बादी-ए-जिंदगी लिख ली ………
हो ज़िन्दगी की बेवफाईयों से खफा मैंने रात की दिन से ज़ुदाई लिख दी बचाने को तेरी रुसवाईया जमाने में ख़ुद की बदनाम कहानी लिख…
ज़िन्दगी को कर के ज़ुदा ज़िन्दगी से ज़िन्दगी को मिला दिया ज़िन्दगी में कोई ऐसी मौत का शिकवा क्यों करे पलकें मेरी बंद हुई उनकी…
खूब बेरहम इश्क है यह दर्द का खुदा दुश्मनों को भी इससे बचाए …… यूई
आपको हुआ है इश्क दर्द से तो कोई बात नही बचना कही दर्द को ना हो जाए इश्क आपसे …… यूई
रोज़ मार के भी ख़ुद को मर सके रोज़ जीना चाहके भी जी ना सके मरते हुए मरने का करते रहे इंतज़ार जीते हुए करते…
मौत ने किया है कुछ इस तरह मेरा इंतज़ार जैसे ज़िन्दगी ख़ुद करे जिंदा रहने का इंतज़ार …… यूई
कहने को तो हुए हम घर से बेघर इश्क तेरे ने किया ख़ुद से बेखुद ज़िन्दगी कुछ यूँ गुज़री फिर बेसुध ख़ुद की छोड़ लग…
मेरे ही गुनाहों ने हो परेशान मुझसे सुनाया फ़ैसला खुद्की मौत का मुझसे …… यूई
तुम्हे इश्क कहूँ या अब कहूँ खुदा अब तो फर्क कोई ना पड़ता है उसके रंगों में रंगा हर काम तेरा तेरे रंगों में रंगा…
रंग रूह को इश्क के पक्के रंगों को तूने वोह रंग प्यार का दिखलाया है जिसने ख़ुद में खुदी दिखला खुद की इन सब झूठे…
नज़र-ए-हुस्न ने किया इज़हांर-ए-इश्क जबसे अरमानो को जैसे मेरे लग गए हो पंख तबसे …… यूई
जाम से मिलते ही मचलती शराब जैसे मयकदे में झूमते हो बेखुद मयकश जैसे कुछ यूँ ही बेखबर सा हो गया हूँ जगसे बना इश्क…
लौटा दो सदाए लाखों बार हमारी ज़िन्दगी का सौदा करके आए हैं क्या हुआ जो तेरी नजर नही हमपे तेरे इश्क में लूटाने हम जान…
बीत चुके हैं बरसों जिनको क्यों पल वोह याद दिलाते हो किए गहरे दफन जो जग जग रातों क्यों उनकी अब कब्रे खुदवाते हो …
ज़िन्दगी ना कर पाई फ़ैसला मैँ शराब का नशा छोड़ दूँ या तेरी जुस्तजू की उम्मीद एक ने मुझे जीने ना दिया दूसरे ने मुझे…
बैठा हूँ बीच बाज़ार, लेकर अपनी यादों को बेशकीमती है यह गहने, इनका कोई मोल नही आए वोह ले जाएँ मुझसे, बेमौल मेरी जागीरें को…
जाने कितने दर्द समेटे होंगे उसने जो यादों को अपनी बाज़ार ले गया …
कोई मुझे यहां कवी बुलाता कोई बोले शब्दों का खिलाड़ी कोई समझे बुनता मैँ लड़ियाँ कोई समझे चुनता मैँ कलियां ना मैँ कवी ना…
हूँ लाखो वर्षो सी यूँ ही जल रहा मैं हूँ ख़ुद में आग लगा कर जल रहा मैं जला ख़ुद को कर रहा रोशन तुमको…
वक़त की कमी नही है यहां, यूँ ही गर देखो तो गया वक़त ना लौट कर आए, गौर से देखो तो …… यूई
सिर्फ दिखने को लगता है सबको आराम है नहीं किसी को यहां कभी भी आराम हर पल है हर शय उसकी गतिशील यहां है नहीं…
प्यार लुटाया दिल खोल खूब तब जा कमाया यह नाम खूब माना के हुए बदनाम हम खूब है यह बदनामी नाम से भी खूब पिघलाया…
कहते हो राज़ छुपे है हजारों मुझमें देखा है अपना अक्स कभी मुझमें कोशिश तो की होती पास आने की ख़ुद खुल जाते राज़ तुम्हारे…
कहते थे मेरी आँखों में ही रहना कभी फ़ासले दूर कर जाएँ तो क्या कहते थे क़रीब मेरे दिल के रहना जिस्म ना मिल भी…
हमें दफनाने की आपकी कोशिश शायद हो पूरी हमारी यादो को दफनाने की कोशिश ना होगी पूरी ……यूई
मार कर हमें तुम, अपने दिलो की तहों में जो दफ्नाओगे वादा है मोहब्बत का, हम जिंदा उन तहों से लौट आएंगे ……यूई
चाह कर तो ना हम तुम्हे स्तायेंगे चाह कर तुम हमें भूला ना पाओगे ज़ोर जितना हमें भुलाने पे लगाओगे दिल को अपने बेवजह तुम…
जो मर मर के जिया, वोह ख़ुद का ना मीत जो ना हुआ ख़ुद का मीत, वोह कैसा तेरा मीत ……यूई
हर पल मृत्यु से अभय, शौर्य की पहचान हर पल मृत्यु सो जो डरा, वो जिंदा मरा ……यूई
सिसकियां साँसें दिल चाहतें इंतज़ार बेकरारीयाँ मुस्कराहटें गहने है यह सब अनमोल मिल जाए कभी भी कही भी संभाल लीजियेगा, ख़ोयिएगा नही हां इकठे कभी…
फूलों का खिलना भँवरो का नाचना तितलियों का मचलना बरसात की रिमझिम हवाओं की अठखेलियाँ तारों का टिमटिमाना नदियों का मचलना निशनियाँ है प्यार की…
अरे क्या कह्ते हो कि मेरे होश ठिकाने आए क्या सच में ही चाहते हो कि मेरे होश ठिकाने आए सोचा है गर कभी जो…
ख़ुद का चरना, कह्ते इसे पशु प्रवृति जो ख़ुद का चरते, वोही तो पशु कहलाते कुछ ग़लत कहा क्या? क्या सोचा ना था? यूई अब…
जिसने समझा आपको अपना उसको ना समझा आपने अपना जिसको समझा आपने अपना उसने ना समझा आपको अपना है यह कैसी और किसकी तलाश होगी…
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