ईमानदारी और अनुशासन

ईमानदारी और अनुशासन
सब देते है इस पर भाषण
पर किसी का नहीं है इस पर शासन

जब आता है गुस्सा
जो मर्ज़ी है बोलते
सही गलत कुछ नई तोलते

अपना उल्लू सीधा करते सब यहाँ
अपना काम निकलने में भूल जाते जहाँ

ईमानदारी और अनुशासन
सब देते ह इस पर भाषण

भ्रटाचार का बढ़ता अत्तयचार
सब करते तर्कों पर विचार

तर्कों का होता विशाल आदान प्रदान
सब देते एक दूसरे को ज्ञान
पर अपने चरित्र का न देता कोई प्रमाण

ईमानदारी और अनुशासन
सब देते ह इसपर भाषण

जब सामने आती है गलती
तब सबकी हवा निकलती
शुरू होता है आरोपों का सिलसिला
सब होते एक दूसरे से गिला

नाम की रह जाती है प्रतिगया
न दो इन्हे आदर्शो की संज्ञा

ईमानदारी और अनुशासन
सब देते ह इसपर भाषण

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