खूबसूरती को तुम्हारी,
क्या नया उपमान दूँ,
उपमान तो कितने ही
बेहतर दूं ,भले न दे सकूँ
लेकिन इतना तो कर सकूं कि
घर के बाहर व भीतर
तुम्हें उचित सम्मान दूं।
खूबसूरती को तुम्हारी,
क्या नया उपमान दूँ,
उपमान तो कितने ही
बेहतर दूं ,भले न दे सकूँ
लेकिन इतना तो कर सकूं कि
घर के बाहर व भीतर
तुम्हें उचित सम्मान दूं।