Site icon Saavan

उम्र पार की

इन सुर्ख अधरों को
मेरे गालों तक मत लाना
चाहत और बढ़ जाएगी
प्यार की
अपनी जुल्फों को अब
और मत लहराना
रात लंबी हो जाएगी
इंतजार की
तड़पते रहेंगे उम्र भर मगर
जुबां से कुछ ना कहेंगे
उनको भी तो खबर होगी
दिल ए बेकरार की
तुम्हारी यादों को शब्दों में
किस तरह ढालूं
सुबह की धूप हो या
कली अनार की
कभी सावन कभी भादो
जैसी लगती हो तुम
सच क्या है देखूं
एक बार उम्र प्यार की।
वीरेंद्र

Exit mobile version