उससे रिश्ता नहीं रहा लेकिन….
उससे रिश्ता नहीं रहा लेकिन
उसका खयाल हर वक्त रहता है
वो मेरे दिल उतर गया है जरूर
उसका रुआब आज भी रहता है
मेरी लेखनी उस बिन नहीं चलती एक कदम,
अल्फ़ाज मेरे होते हैं मगर जिक्र उसका होता है
वो मेरी मोहब्बत क्या नफरत के भी काबिल ना था
फिर भी मेरे दिल में सिर्फ वो ही रहता है
वो मेरे कदमों के भी कहाँ लायक रहा है
फिर भी वो जुनूँ कि तरह मेरे सर पे सवार रहता है
उससे रिश्ता नहीं रहा लेकिन !
उसमें आज भी मुझको रब दिखता है।
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