Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
कागज पे हालाते-दिल लिखते हुये इक दिन मौत आ जानी है
कागज पे हालाते-दिल लिखते हुये इक दिन मौत आ जानी है मुझे मरते , तड़पते , बिलखते हुये इक दिन मौत आ जानी है !!…
रहस्य जीवन
रहस्य जीवन अनेक प्रश्न निरुत्तर प्रश्न संभव जीवन संभव मोक्ष निरर्थक प्रश्न पुनर्जन्म संभव जन्म सार्थक प्रश्न मृत्यु प्रश्न सत्य प्रश्न यथार्थ प्रश्न प्रारब्ध चिंतन…
असमंजस में पड़ा इंसान
किस असमंजस में पड़ा इंसान। किस दोराहे पे खड़ा इंसान ।। दौलत के रिश्ते हैं, रिश्तों की यही अहमियत है । वक्त के साथ अपने,…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
ज़िन्दगी खफा है अब मनाऊँ किस तरह
ज़िन्दगी खफा है अब मनाऊँ किस तरह दिल पे चोट है अब मुस्कुराऊँ किस तरह चोट कोई अंदर है जिससे टिस उठती है चिर से…
वाह