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एक बेटी की करुण पुकार

क्यूँ आई दुनिया में मैं मां ,
जब जिल्लत जग की सहना था ,
मानव समाज के नियमों के ,
ताने बाने में रहना था ।
गर बेटा मैं भी होती तो ,
मेरा मन यूं क्रंदन ना करता ,
गर लाल तूने जाया होता ,
यह घर खुशियों से तेरी झोली भरता ,
घर वालों के तानों से मां,
तेरा मन छलनी ना होता ,
मिलते तुझको सुख के साधन ,
गर जन्म मेरा इस जग में ना होता ।
मत इतरा इतना ऐ इंसान तू,
एक बात मैं तुझको बतला दूं ,
मुझसे ही है अस्तित्व तेरा,
यह परम सत्य ना ठुकरा तू,
बेटियां जो जग में ना होंगी ,
तो बहू कहां से लाओगे ,
अपनी अस्मिता बचाने को ,
अपना वंश कैसे बढ़ाओगे ??

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