कल्पतरु सी बने कविता,
सब के दुख हरे कविता
बेरोज़गारों को रोज़गार मिले,
बिछुड़ों को उनका प्यार मिले
ऐसी सुंदर बने कविता,
सुरतरू सी बने कविता
शोहरत की चाह हो उसे शोहरत मिले,
दौलत की चाह हो उसे दौलत मिले
निरोग रहे सभी का तन,
खुशियों से भरा हो सबका मन
ऐसी मंगल बने कविता,
देवतरू सी बने कविता
सबका सुखी घर-संसार रहे,
ऐसी कविता मेरी कलम कहे
“गीता” कहती है कुछ कर्म करो,
हो सके तो कुछ धर्म करो
मेहनत का फ़ल मीठा होता,
ये कथन कहे मेरी कविता
_____✍️गीता