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कसम

कविता- कसम ——————- सौ बार कसम मैने खाई , फिर खुद ही उसको तोड़ा था, जब जब होती नादानी मुझसे, रब के आगे रोया था,…

कसम ख़ुदा की

गर जमाने ने किया होता ,              कसम ख़ुदा की, सब कर गुजरते हम I अफसोस यह खंजर उन हाथों ने मारा              जिनको ता–उमर…

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