किन्नर होना अभिशाप है !!
यह जाना जन्म पाकर
जहां भी जाऊं माहौल
बन जाता है हास्यास्पद
मैं तो गौरी शंकर का रूप हूं
हां मैं अर्धनारीश्वर हूं
क्यों नहीं समझते
दुनिया वाले मुझको अपने जैसा
हां तन से हूं विचित्र
पर मन से बिल्कुल वैसा
मेरी दुआएं हर किसी के काम आतीं हैं
लोगों की व्यंगात्मक निगाहें
मेरे मन को छोल जाती हैं
मेरी दुआओं की तरह
मुझे भी अपना लो
प्रेम ना करो तो
थोड़ी मानवता ही अपना लो।।