प्यार दूर की बात
सम्मान कभी सपने में भी ना सोचूं
तुम तो देखने से भी कतराए
देख कर नज़र फेर ली
फिर कहते हो
मेरी दुआओं मे बड़ी ताकत हैं
जल्दी कबूल हो जाती है
अगर तुम कहो
दुआओं के मैं बादल बरसा दूं
बस एक बार
जो जन्म से मिला अधूरापन
तुम उसे भुला
इन्सान समझ लेना
कभी बदन से नजरें उठा
तानों से छलनी रूह को निहारना
कभी सम्मान की नजरों से देख
पड़ना हमारी नज़रों की बेबसी
किन्नर नही हमें हमारे नाम से पुकारना
भगवान् ने बनाया होगा कुछ सोच
उसका मान रख
हमें इज्जत से जीने का हक दे देना।