Categories: शेर-ओ-शायरी
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
उसके जाने आने के
उसके जाने आने के दरम्यां छुपी सदियाँ थी कुछ था पतझड़ सा तो कुछ हरी वादियां थी उसकी ख़ामोशी में दबी दबी सी बैठी…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
बुझे चरागों को हवाओं
बुझे चरागों को हवाओं का करम न दे मेरी हस्ती मिटने का कोई भरम न दे जो गुजरा नहीं खुद , मगर आखिर गुजरा तुम…
यादें
बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…
बारिश की बूंदो की
बारिश की बूंदो की हल्की हल्की आवाज़ कानो में रस घोलते जेहन में उतर जाती है कौंधती बिजलियाँ कुछ ठक ठक सी दस्तक देती है…
वाह बहुत सुंदर
Good