Categories: शेर-ओ-शायरी
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
चल पड़ा फिर जिस्म
चल पड़ा फिर जिस्म किसी राह में मन को छोड़ अकेला क्यों नहीं चलते दोनों साथ -साथ कोई रंजिश नहीं फिर भी रंजिश फूल की…
चल पड़ा फिर जिस्म
चल पड़ा फिर जिस्म किसी राह में मन को छोड़ अकेला क्यों नहीं चलते दोनों साथ -साथ कोई रंजिश नहीं फिर भी रंजिश फूल की…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
kya khoya ????
क्या खोया ? निकला था मंजिलो को पाने पर रास्तो से दिल लगा बैठा, और कल को बुनने की जिद में अपने आज को दांव…
Good
Very good