कोई कोना जिस्म का

कोई कोना जिस्म का
उड़ के बैठा किसी कोने में
अब सफर साँसों का गुजरता है
कभी जिस्म में कभी, किसी कोने में
राजेश’अरमान’

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

kya khoya ????

क्या खोया ? निकला था मंजिलो को पाने पर रास्तो से दिल लगा बैठा, और कल को बुनने की जिद में अपने आज को दांव…

Responses

+

New Report

Close