Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
कोरे मेरे,सपने मेरे…..
कोरे मेरे, सपने मेरे, कोरे ही रह जाएंगे….२ उम्मीदें देंगी,दस्तक उन तक, उम्मीदें ही रह जाएंगी…. कोरे मेरे, सपने मेरे, कोरे ही रह जाएंगे…२ शामें…
बुढ़ापे की लाचारी
आज कयी बच्चों के एक पिता को दवा के अभाव में तङपते देखा है ना उसके भूख की चिन्ता न परवाह उसकी बीमारी की गज़ब…
कागज़ और कलम
जब आसपास की खट पट खामोशी में बदलती है। जब तेज़ भागती घडी की सुइंया धीरे धीरे चलती है।। दिनभर दिमाग के रास्तों पर…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
रखो न हीन भावना (दिगपाल छंद में)
रखो न हीन भावना बुलंद भाव से चलो, सदैव सिर उठा रहे कभी नहीं कहीं झुको। झुको उधर जिधर लगे कि सत्य की है भावना,…
बेहतरीन