खोज रहा है आदमी, अपने को ही आज,
मगर नहीं हो पा रहा, होने का अहसास,
होने का अहसास, स्वयं मानव होने का,
लोभ लालसा हाय बनी कारण खोने का,
कहे कलम बेचैन मत रह तू मानव रोज,
कभी कभी तू सत्य की बातें मन में खोज।
खोज रहा है आदमी, अपने को ही आज,
मगर नहीं हो पा रहा, होने का अहसास,
होने का अहसास, स्वयं मानव होने का,
लोभ लालसा हाय बनी कारण खोने का,
कहे कलम बेचैन मत रह तू मानव रोज,
कभी कभी तू सत्य की बातें मन में खोज।