खोज रहा है आदमी

खोज रहा है आदमी, अपने को ही आज,
मगर नहीं हो पा रहा, होने का अहसास,
होने का अहसास, स्वयं मानव होने का,
लोभ लालसा हाय बनी कारण खोने का,
कहे कलम बेचैन मत रह तू मानव रोज,
कभी कभी तू सत्य की बातें मन में खोज।

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Responses

  1. खोज रहा है आदमी, अपने को ही आज,
    मगर नहीं हो पा रहा, होने का अहसास,
    _______जीवन दर्शन के प्रति गहरी अनुभूति दर्शाती हुई, कवि सतीश जी की बहुत ही श्रेष्ठ एवम् उम्दा रचना।बहुत सुंदर शिल्प और अभिव्यक्ति

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