आज कोई गीत नहीं है,
गीता के, गीतों के गुलदस्ते में
रीता है गुलदस्ता मेरा,
रीता ही लेकर आई हूं
कुछ अपने मन की कहने,
कुछ आपके मन की सुनने आई हूं
आज जल बहुत ठंडा था,
गरम आंसुओं से मुंह धो कर आई हूं
लेकिन आपके सम्मुख,
मैं उसी मुस्कान में आई हूं
आज तो केवल ख़ामोशी है,
ख़ामोशी ही पढ़ लेना
आज कोई गीत नहीं है,
रीता गुलदस्ता लाई हूं
_______✍️गीता