गीतों का गुलदस्ता
आज कोई गीत नहीं है,
गीता के, गीतों के गुलदस्ते में
रीता है गुलदस्ता मेरा,
रीता ही लेकर आई हूं
कुछ अपने मन की कहने,
कुछ आपके मन की सुनने आई हूं
आज जल बहुत ठंडा था,
गरम आंसुओं से मुंह धो कर आई हूं
लेकिन आपके सम्मुख,
मैं उसी मुस्कान में आई हूं
आज तो केवल ख़ामोशी है,
ख़ामोशी ही पढ़ लेना
आज कोई गीत नहीं है,
रीता गुलदस्ता लाई हूं
_______✍️गीता
अतिसुंदर भाव
समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद भाई जी🙏
गर्म आंसुओं से मुंह धोकर आई हूं”
गीता जी की यह पंक्तियां हृदय को छू गईं
इतनी सुन्दर समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद प्रज्ञा जी
गीता के, गीतों के गुलदस्ते में
रीता है गुलदस्ता मेरा,
कवि की अनुप्रास अलंकरण से सुसज्जित सुरम्य पंक्तियाँ। और बेहतरीन कविता
आपकी प्रेरक समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी