बरस रहा है भाद्रपद
रिम-झिम बरसता जा रहा है
इस मनोरम मास में
गौरा-महेश्वर सज रहे हैं।
इन पहाड़ों के शिखर
शिवलिंग जैसे लग रहे हैं,
गौरा-महेश्वर पूजने
घर-घर विरुड़ भीगे हुए हैं।
नारियां बाहों में अपने
डोर धागा बांधकर
गा रहीं गौरा की स्तुति,
दूब भी बांधे हुए हैं।
घास से गौरा बनाकर
फूल माला से सजाकर
एक डलिया में बिठाकर
सर में रखकर पूजती हैं।
आज गौरा पूजती हैं।
आठ दिन आठों मनाकर
फिर विदा करती हैं उनको
इस तरह भादो में वे
गौरा-महेश्वर पूजती हैं।
रिम-झिम बरसते भाद्रपद में
गौरा- महेश्वर पूजती हैं।