घुल गया उनका अक्स कुछ इस तरह अक्स में मेरे..

 

घुल गया उनका अक्स कुछ इस तरह अक्स में मेरे

आईने पर भी अब मुझे न एतबार रहा

 

हमारी मोहब्बत का असर हुआ उन पर इस कदर

निखर गयी ताबिश1-ए-हिना, न वो रंग ए रुख़्सार रहा

 

हमारी मोहब्बत पर दिखाए मौसम ने ऐसे तेवर

न वो बहार-ए-बारिश रही, न वो गुल-ए-गुलजार रहा

 

भरी बज्म2 में हमने अपना दिल नीलाम कर दिया

किस्मत थी हमारी कि वहां न कोई खरीददार रहा

 

तनहाईयों में अब जीने को जी नहीं करता

दिल को खामोश धडकनों के रूकने का इंतजार रहा

  1. ताबिश : चमक
  2. बज़्म= सभा

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