जब से तुझसे मिला दुगनी हयात होती गई,
मेरे लिए तू मेरी कायनात होती गई..
यूँ रहा रंग भी अब तक की मुलाकातों का,
के लब खामोश थे आँखों से बात होती गई..
न कोई थकन, न ख्वाब और नींद का ही पता,
सहर भी यूँ हुई और यूँ ही रात होती गई..
मेरे जैसे न जाने कितने शराफत में बिके,
हँसी खुशी यूँ ही नीलाम-ए-ज़ात होती गई..
जब से तुझसे मिला दुगनी हयात होती गई,
मेरे लिए तू मेरी कायनात होती गई..
– प्रयाग
मायने :
हयात – ज़िन्दगी
कायनात – दुनियाँ
थकन – थकान
सहर – सुबह