जब से तुझसे मिला..
जब से तुझसे मिला दुगनी हयात होती गई,
मेरे लिए तू मेरी कायनात होती गई..
यूँ रहा रंग भी अब तक की मुलाकातों का,
के लब खामोश थे आँखों से बात होती गई..
न कोई थकन, न ख्वाब और नींद का ही पता,
सहर भी यूँ हुई और यूँ ही रात होती गई..
मेरे जैसे न जाने कितने शराफत में बिके,
हँसी खुशी यूँ ही नीलाम-ए-ज़ात होती गई..
जब से तुझसे मिला दुगनी हयात होती गई,
मेरे लिए तू मेरी कायनात होती गई..
– प्रयाग
मायने :
हयात – ज़िन्दगी
कायनात – दुनियाँ
थकन – थकान
सहर – सुबह
सुंदर अभिव्यक्ति
Thanks For Compliment sir
Nice poem, n nice presentation
Thanks For Compliment
बेहतरीन
धन्यवाद आपका
Very nice😊👏👍
Thank You
Nice
Thank You