हुआ .गर विरोध तो क्या बिखर जाऊंगी?
रफ़्तार करूं मैं दुगनी, और निखर जाऊंगी।
जीवन में जीत हैं तो हार भी हैं,
यही तो जीवन है, ज़िन्दगी का सार भी है।
सागर है विशाल, लहरें भी ऊंची, तो क्या हार जाऊंगी?
खेती रहूंगी नैया, उस पार जाऊंगी ।।