Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: संपादक की पसंद
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अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है । प्रेम से ही टिकी हुई, धरती, गगन, भुवन है ।। अर्थ जगत का सार…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मैं ग़ज़ल बन किसी कागज़ पर बिखर जाऊँगी
तेरी आँखों में रहूँगी तो सँवर जाऊँगी गर तेरे बदले मिले दुनिया मुकर जाऊँगी ख्याल हूँ कैद न कर तू मुझे इन पलको में खुशबू…
ना समझ संतान
कहानी-ना समझ संतान पैतृक संपत्ति से कुशल किसान रहता था, अनेक पशुओं तथा कृषि यंत्रों के साथ एक सुनहरे भवन का मालिक था, किसान के…
हाँ मुझे है प्यार
क्या मै तुमसे करती हूँ प्यार, हाँ प्यार है, या है इनकार, बङी ही उलझन में पङ गयी हूँ , क्यों तय कर नही पा…
Bahut ache
शुक्रिया जी
Nice
बहुत सारा धन्यवाद 🙏
यही यथार्थ जीवन है
Thank you ji🙏
Good
Thank you
Nice
Thanks for your nice complement
वाह क्या बात है
Thanks for your pricious complement Piyush ji 🙏