जिंदगी है बुलबुला Satish Chandra Pandey 4 years ago जिंदगी है बुलबुला पानी मे उठता बुलबुला फूट जाता है अचानक सत्य को मन मत भुला। सोचता है आदमी मैं सौ बरस जीवित रहूँगा, और कैसे भी रहें, पर मैं सदा ऐसा रहूँगा। इस तरह माया के वश में सच को देता है भुला एक दिन देता है चल छोड़ जाता है रुला।