जिंदगी है बुलबुला
जिंदगी है बुलबुला
पानी मे उठता बुलबुला
फूट जाता है अचानक
सत्य को मन मत भुला।
सोचता है आदमी
मैं सौ बरस जीवित रहूँगा,
और कैसे भी रहें,
पर मैं सदा ऐसा रहूँगा।
इस तरह माया के वश में
सच को देता है भुला
एक दिन देता है चल
छोड़ जाता है रुला।
बहुत खूब
Thanks ji
सुन्दर कविता
Thanks
Atisunder
सादर धन्यवाद जी
जीवन का सत्य इंगित करती रचना
धन्यवाद जी
सुन्दर भाव
धन्यवाद जी
ज़िन्दगी का यथार्थ चित्रण
सादर धन्यवाद