Site icon Saavan

जिसे सर झुकाने की आदत नहीं है

जिसे सर झुकाने की आदत नहीं है
उसे हर बशर से मोहब्बत नहीं है

दुःखा दिल किसी का ख़ुशी मैं मनाऊँ
मेरे दिल की ऐसी तो फ़ितरत नहीं है

वो अपने किए पर पशेमां बहुत है
नज़र भी मिलाने की हिम्मत नहीं है

बहा आई दरिया में लख़्त ए जिगर को
ज़माने से लड़ने की ताक़त नहीं है

समझ आ चुका है ये रिश्तों का मतलब
किसी आसरे की ज़रूरत नहीं है

Exit mobile version